विकास का एजेंडा, अनुशासन का डंडा और विचारधारा का झंडा। भाजपा के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी इन तीन मंत्रों के जरिए पार्टी को सारे संकटों से मुक्ति दिलाकर उसे सफलता की पटरी पर वापस लाने का सपना संजोए हैं। अनुभव की कुछ कमी, लेकिन युवा उत्साह से लबरेज गडकरी कुछ भी असंभव नहीं मानते हैं। गडकरी ने सभी के लिए एक समान कसौटी प्रदर्शन (परफॉरमेंस) तय करते हुए साफ कर दिया है कि जो काम का है, वह आगे बढ़ेगा और जो नहीं है, उसे राम-राम करने में वे जरा भी देर नहीं लगाएंगे। गडकरी भाजपा में तीसरी पीढ़ी के नेता है, जिन्हें इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय राजनीति का अनुभव न होने के बावजूद इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। इसलिए उनके पास खोने को तो कुछ नहीं है, लेकिन पाने को पूरा भविष्य है। अपनी विशिष्ट एनजीओ स्टाइल में काम करने वाले गडकरी ने चुनावी राजनीति से पूरी तरह दूर रहकर अपने तीन साल के कार्यकाल को संगठन के लिए समर्पित करते हुए कहा कि उनका नारा है राष्ट्रवाद से प्रेरणा, सुशासन से विकास साधन व अंत्योदय उद्देश्य है। गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका विकास का एजेंडा हाई फाई नहीं बल्कि अंत्योदय से शुरू होता है। पार्टी कार्यकर्ताओं को भी गडकरी घुट्टी पिलाते हुए उन्होंने कहा कि उनका व पार्टी का भला तभी है, जब वे सबसे उपर देश, उसके बाद पार्टी और सबसे आखिर में खुद को रखेंगे। गडकरी ने पार्टी के भीतर ड्राइंगरूम राजनीति व परिक्रमा से पराक्रमी बने नेताओं को दो टूक चेतावनी देते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि मेरा कोई आदमी नहीं है जो प्रदर्शन करेगा, उसे वह आगे दौड़ेगा और जो नहीं करेगा उसे नमस्कार कहूंगा। इसके लिए संगठन मंत्री रामलाल को कहा है कि वे सभी प्रदेशों व मोर्चो से नाम लेकर प्रदर्शन के आधार पर सूची तैयार करें। इसमें से ही वे अपनी नई टीम चुनेंगे। चुनावी राजनीति से दूर रहकर पूरी तरह संगठन को समर्पित गडकरी ने कहा कि वह भाजपा के सभी मूल मु्द्दों के साथ चलेंगे। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष बदलने से मुद्दे नहीं बदलते हैं। जीत हार के सवालों पर उन्होंने कहा कि जो भी हो वह सामूहिक होता है। गडकरी भाजपा के साथ राजग को भी मजबूत करने पर ध्यान देंगे और राजग नेताओं के सात जल्द ही एक बैठक करेंगे।
ठ्ठ जागरण
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Sunday, 27 December 2009
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